ॐ नमों नारायण! ॐ गुरूवे नमः
आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ !
ओम श्रां श्रीं स: चन्द्रमसे नम: ।
ओम मणि पदमे हूम्
ओम नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात
एवं च ये द्रव्यमवाप्य लोके मित्रेषु धर्मे च नियोजयंति। अवाप्तसाराणि धनानि तेषां भ्रष्टानि नांते जनयंति तापम्
सर्वप्रथम मेरे गुरु श्री श्री1008 महामंडलेश्वर जूनापीठाधीश्वर (उज्जैन ) महायोगी पायलट बाबा को कोटि कोटि नमन। जिनकी कृपा से आज हम कुछ आध्यात्मिक रहस्य आपको बता पा रहे है , नहीं तो , गुरु कृपा बिना कुछ सम्भव नहीं। हम बात करते है पायलट बाबा धाम सासाराम बिहार ।
कहा जाता है ,पहले सासाराम का नाम सहस्त्राराम था । सहस्त्रबाहु ने कई लड़ाइयाँ जीती, लेकिन श्री परशुराम से हार गए , युद्ध ख़त्म होने के बाद, इन दोनो शक्तियों के नाम पर सहस्त्र और राम का नाम रखा, जिससे नाम सहस्त्राराम बना।
बिहार एक ऐतिहासिक राज्य रहा है। और जो इसका हिस्सा सासाराम रोहतास ज़िला है उसका अपना एक अलग ही इतिहास है।
सासाराम शुरू से ही विकसित संस्कृति का केंद्र रहा है।ऐसा कहा जाता है इस धरती पर विष्णु भगवान ने हज़ारों वर्ष तक तपस्या की थी।सासाराम में सम्राट अशोक ने अपना लघुशिला लेख लिखवाया।सासाराम की गलियों में पला बढ़ा फ़रीद ‘शेरशाहसूरी ‘के रूप में भारत का बादशाह बना।
इसी बिहार की भूमि पर , भोज वंश में राजा परिवार में वीर कुँवर सिंह का जन्म हुआ जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे, उन्होंने भारत की आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सासाराम बिहार ने श्री परशुराम,सहस्त्रबाहु, वीर कुँवर सिंह जैसे महान आत्माओं और अनेक साधु, संतो को विरासत में दिया।
बिहार भारत की शान है।इस पावन भूमि पर अनेक योगी, महायोगी और महान संतो का जन्म हुआ ।इसी भूमि पर माँ के शक्तिपीठ भी है। जिसमें तारा चण्डी शक्ति पीठ प्रसिद्ध है।जो पायलट बाबा धाम के पास ही है । माँ का आशीर्वाद हमेशा यहाँ की जनता पर बना रहता है ।इसी भूमि पर शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र नालंदा विश्वविध्यालय है। पहले इसकी राजधानी का नाम पाटलिपुत्र था जो अब पटना है।बिहार की इसी पावन भूमि पर महान शासक चंद्रगुप्त मौर्य , अशोक, अजातशत्रु, अन्य महान राजाओं का जन्म हुआ।गुरु गोबिंद सिंह जी का भी जन्म इसी भूमि पर हुआ।
सबसे ज़्यादा भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बिहार भूमि से ही निकलते है।
श्री पायलट बाबा धाम में महात्मा बुद्ध की , भोले शंकर की विशालकाय प्रतिमा है । और भी देवी देवताओं की मूर्तियाँ विधमान हैं।
सोमनाथ मंदिर का भी इतना भव्य और सुंदर निर्माण हुआ है ।ऐसा लगता है की साक्षात महादेव ही विराजमान है।मंदिर के अंदर प्रविष्ट करके ऐसा लगता है कि हम सम्पूर्ण ब्रहमाँड के सान्निध्य में है।
बाबा जी के माध्यम और महादेव कृपा से बना ये विशाल धाम सर्व दिव्य ऊर्ज़ाओं का सम्मिलन है।इतनी महान शक्तियों का मिलन शायद ही आपको कहीं देखने को मिले? जहाँ शिव शक्ति का वास है ,ब्रह्मा , विष्णु महेश की रचना का उनके हर एक अंश का वास है।
सबसे भिन्न है महात्मा बुद्ध की प्रतिमा जो प्रेम, शांति , सत्य का प्रतीक है।हमारे गुरु महायोगी पायलट बाबा ने हमेशा सुख,शांति,और प्रेम का संदेश दिया है समय समय पर यज्ञा हवन किया , समाधि लिया मानव जाती के कल्याण के लिए।हमेशा एक ही संदेश दिया विश्व में शांति हों। और अभी भी अपने प्रयासों में लगे है कि कैसे में इस संसार में शांति ला पाऊँ। यज्ञ , ध्यान , योग के माध्यम से इस मानव रूपी शरीर का शारीरिक और मानसिक विकास कर पाऊँ।और वो सफल भी रहे है। उनका तपस्वी जीवन अब मानव कल्याण , राष्ट्र सेवा में समर्पित है। राष्ट्र सेवा की भावना तो उनमे कूट-कूट कर भरी हुई है। उनके जीवन का एक हिस्सा राष्ट्र सेवा में समर्पित रहा(air force) में रह कर । एक हिस्सा हिमालय में तपस्या में रहा । जीवन के अनसुलझे रहस्य को समझा, अपने आप को साक्षातकार किया।आध्यात्मिक जीवन का आनंद लिया अपने आप को ईश्वरमय कर लिया और एक ऐसी ऊर्जा क़ो अपने अंदर उदय किया जो आज पूरे विश्व को प्रकाशित कर रही है।
सासाराम बिहार महायोगी पायलट बाबा जी की जन्मोस्थली रही है।बाबा जी तो सब कुछ छोड़ कर हिमालय तपस्या करने चले गए थे। लेकिन क्या होता है कुछ कर्म रह जाते है आपके माध्यम से करने। वही हुआ महादेव की इच्छा से पहले इस पवित्र भूमि पर यज्ञ हुआ समाधि हुई, मानव जाती के कल्याण के लिए।गुरुदेव को कुछ ध्यान में समाधि में अहसास हुआ की यहाँ कुछ दिव्य भव्य निर्माण होना चाहिए कुछ ऐसी ईश्वरीय रचना हो जिसका लाभ मानव जाती को युगों युगों तक मिलता रहें।मनुष्य का कल्याण होता रहे , वो अपनी सारी मुसीबतों से बाहर निकल पायें।
यह स्थली महात्मा बुद्ध की भी तपोस्थली रही है उनका प्रेम, सत्य , अहिंसा का संदेश जन जन तक पहुँच पायें ये भी बाबा जी का प्रयास रहा है ।
बुद्धं शरणं गच्छामि। धम्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि। बुद्धं शरणं गच्छामि।
कहा जाता है कि महात्मा बुद्ध अपनी आध्यात्मिक यात्रा में बोध गया जाते हुए इस स्थान जहाँ आज पायलट बाबा धाम है , महात्मा बुद्ध की प्रतिमा विराजमान है वहाँ कुछ समय अपने शिष्यों के साथ रुके थे। इस स्थान को अपनी तपस्या से पवित्र किया था गुरुदेव ने अपने आपको ध्यान में इस स्थान से अवगत कराया, और इस स्थान की महिमा को जन जन तक पहुँचाने के लिए बहुत अथक प्रयास किये , ताकि महात्मा बुद्ध का संदेश लोगों तक पहुँच पायें। महात्मा बुद्ध ने मानव कल्याण के लिए बहुत संदेश दिए उनका कहना था हम सत्य से , प्रेम से , अहिंसा अपने दृढ़ संकल्प से अच्छे विचारो से ,क्रोध ना करने से, अपनी तपस्या से अपने त्याग से,वर्तमान में जीने से , अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है और इस मानव जीवन को सफल बना सकते है।
महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में ५६३ईसापूर्व माना जाता है गौतम बुद्ध का जन्म ज्ञान और धर्म को नई दिशा देने के लिए हुआ।बालक बुद्ध के बचपन से ही साधु संतो ने ये भविष्य वाणी कर दी थी की इस बालक जा जन्म ग़रीबों , दुःखियों असहाय लोगों की रक्षा करने के लिए हुआ है।विद्धानो ने इस बालक का नाम सिद्धार्थ रखा जिसका जन्म सिद्धि प्राप्ति के लिए हुआ हो । उनकी बचपन से ही बौद्धिक ,आध्यात्मिक विषय और वेद उपनिषदों में रुचि रही है।गौतम बुद्ध को पारिवारिक मोह माया में फँसाया गया ताकि वो सन्यास ना ले सके , लेकिन एक योगी सन्यासी आत्मा को कौन बांध सकता है।कहा जाता है उनको कुछ दृश्य जैसे दुःखी , रोगी वृद्ध व्यक्ति देखने की मनाही थी, लेकिन जब उन्होंने छुप कर ये सब दृश्य देखा तो वो सब माया जाल छोड़ कर सत्य की खोज में जंगल की और चले गए।ताकि इस संसार में सुख , शांति की स्थापना कर सके।कठोर तपस्या के बाद 528 ईसा पूर्व पूर्णिमा की रात एक पीपल के पेड़ के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।इसे हम बोधि वृक्ष के नाम से जानते है।इनकी तपस्थली को हम बोधगया के नाम से जानते है।
महात्मा बुद्ध का उपदेश मानव जाती के कल्याण के लिए था। उन्होंने सभी दुःखों का कारण तृष्णा बताया।अहिंसा का समर्थन किया।ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन मानव कल्याण में लगाया।
महात्मा बुद्ध का कहना था कि इस सृष्टि का कोई भी प्राणी बुद्धत्व को प्राप्त कर सकता है।बस हमारे अच्छें विचार , हमारा त्याग, दृढ़ संकल्प हमें महानता की और ले जाएगा।जैसे इन सब सकारात्मक शक्तियों के कारण गौतम बुद्ध महात्मा बुद्ध बन गए। कहा जाता है की भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति,और महापरिनिर्वाण ये तीनो वैशाख पूर्णिमाके दिन हुए।उनके कठोर तप से उन्हें बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्ध्त्व ज्ञान की प्राप्ति हुई तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है।महात्मा बुद्ध के संदेश के प्रचार प्रसार करते करते स्वयं एक धर्म बन गया जिसको हम बोधधर्म कहते है।बोध धर्म के माध्यम से मानव जाती की रक्षा के लिए बहुत सारी प्रार्थनाऐं की गयी है । उनके द्वारा इतने सारे संदेश दिए गए है यदि आप अपने जीवन में उतार लें तो आपका जीवन संवर जायें।उन्होंने अच्छें कर्म करने की , वर्तमान में जीने की , सत्य की राह पर चलने की, प्रेम को परस्पर बाँटने की , अहिंसा के मार्ग पर चलने की ,कभी क्रोध नहि करने की संयम से काम लेने कीऐसी बहुत सारी शिक्षाएँ दी जिससे हमारा मानव जीवन सफल हो सके इसका उद्धार हो सके।
ये ही एक संदेश ये ही एक प्रार्थना यें ही एक अथक प्रयास की कैसे मनुष्य अपने जीवन को सम्भाल पायें , संवार पायें अपने जीवन का उद्देश्य पूरा कर पायें।हमें अपने आप को एक आध्यात्मिक गुरू से जोड़ना होगा। अपने जीवन में ऊर्ज़ाओं का का सही नियंत्रण करना होगा। अपने आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन में तालमेल बिठाना होगा। ये तालमेल बैठेगा सिर्फ़ एक सदगुरु की शरण में रह कर योग, ध्यान की शिक्षा से , अच्छें कर्म कर्म करने क़ी राह में।
मनुष्य जीवन अनमोल है , कहते है बहुत कठिन परीक्षाओं के बाद यें मनुष्य जन्म मिलता है।इसलिए इसको व्यर्थ नहि जाने देना है। कभी कभी हम अपने अहंकार आपसी मतभेद , ईर्ष्या द्वेष के चक्कर में अपना जीवन गँवा देते है। अपनी सोच को सकारात्मक बनायें ।
धन्यवाद हमारे गुरु महायोगी पायलट जी को जिनके सान्निध्य में हमने अपने जीवन के उद्देश्य को समझा और जीवन को एक नई और सही दिशा दिया। प्रार्थना सोमनाथ महादेव से प्रार्थना सभी देवी देवताओं से पूरी मानव जाती की रक्षा हों, विश्व में शांति की स्थापना हों।महात्मा बुद्ध के संदेशो को लोग अपने जीवन में उतारे।
ॐ ॐ ॐ हर हर महादेव।
योग चेतना माता महामंडलेश्वर ( जूना अखाड़ा )
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