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Mataji speaks about Nature

 


ॐ गुरूवे नम:  ॐ नमों नारायण  पृथ्वी जिस पर हम रहते है, सबसे सुंदर और आकर्षक ग्रह हैं। पृथ्वी की सुंदरता प्रकृति से है । 

प्रकृति हमारी सबसे अच्छी जीवन साथी है। ये हमें वो सब कुछ देती है जो हमारे जीवन जीने के लिए  बहुत ज़रूरी होता है ।प्रकृति हमें सुंदर फूल , विभिन्न तरीक़े के पशु- पक्षी , पेड़-पौधे, बहती नदियाँ, समुंद्र, जंगल , ये शुद्ध हवा, पहाड़ , घाटियाँ, पंच- तत्व, और भी ढेर सारी चीज़ें प्रदान करती है। 

प्रकृति हमें हर तरीक़े के फल और वनस्पतियाँ प्रदान करती है ।आज ये सुंदर और हरी भरीं प्रकृति ही है जिसके कारण , हम इतना सुंदर और स्वस्थ जीवन जी रहें है । 

प्रकृति हमारी माँ समान है।जो हर पल हमारा ध्यान रखती है।हमारा लालन-पोषण करती है।प्रकृति के साथ रहने से हम स्वस्थ और मज़बूत बनते है।यहाँ की ताजी हवा , नदियों के बहते पानी की कल-कल ध्वनी हमारे दिमाग़ को तरो-ताज़ा करती है।

जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य है वहाँ योग -ध्यान करने का अपना ही आनंद है। क्योंकि आप प्रकृति के माध्यम से अपने आप ध्यान की गहराईयों में चले जातें है। ये अपने आप में परिपूर्ण है । इसमें वो सब सामर्थ्य है जो  एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए चाहिए। यें हमारे मन-मस्तिष्क, आत्मा को ऊर्जावान बना देती है ।

प्रकृति हमारी धरोहर है। उस प्रभु का आशीर्वाद है।प्रकृति हमारे स्वस्थ जीवन का प्रतीक है । हमें भी अपनी प्रकृति का अपनी माँ की तरह ख़्याल रखना चाहिए । जब हम इसका संरक्षण करेंगे तब ये हमारा पोषण करेगी । 

जब हम प्रकृति के आस पास होते है तो हम तनाव-मुक्त हो जाते है ।सूर्य की उज्ज्वल किरण आपके अंदर सारी सोयी हुई शक्तियों को जगा देती है । यहाँ की ठंडी हवा आपकी रग-रग को सफ़ुर्तिमान कर देती है । प्रकृति और मानव का एक अटूट रिश्ता है। एक दूसरे को समझ के चलोगे तो हर एक चीज़ नियंत्रण में चलेगी । जहाँ आपस में तनाव होगा  वहीं नियंत्रण बिगड़ जाएगा । लेकिन भुगतना मानव को ही पड़ेगा । जिसका हम बहुत बार भुगतान कर चुके है । 

प्रकृति सुरक्षित तो हम सुरक्षित

प्रकृति हमारी पूजनीय है । पृथ्वी का इसके बिना कोई वजूद नहीं है । यें ऋषि- मुनियों की धरा है , देवी- देवताओं की धरा है। प्रकृति हमें सिंचती है 

माँ गंगा का अवतरण इस पृथ्वी पर है । जिसकी निर्मल धारा हमारे तन- मन दोनो को शुद्ध करती है ।

कहा जाता है मनुष्य माँ गंगा के पास जा कर उसको छू कर , उसके जल से अपने कितने जन्मो को पवित्र कर लेता है । जब भी माँ गंगा के पास जाने का मौक़ा मिले तो माँ गंगा को साक्षी बना कर उसके जल से संकल्प लो कुछ  अच्छें कर्म करने का , जन- कल्याण की भावना का अपनी नकारात्मक सोच को बहा कर सकारात्मक सोच जागृत करने का । 

यें पहाड़ , यें नदियाँ , ये शुद्ध हवायें , यें पूरी प्रकृति आपको कुछ देने आयी है कुछ सिखाने आयी है , जल की तरह शीतल और शांत बनो मुसीबतें आये भी तो डट कर सामना करो , बह जाने दो अपने अंदर के बवण्डर को , जाने दो इस तनाव को । ये पर्वत आपको अडिग रहना सिखाते है डरना नहीं, स्थिर रहो। ये मानव जीवन का चक्र है जो घूमता रहता है । 

हर एक चीज़ में सामंजस्य बनाना पड़ता है , चाहे प्रकृति और मानव हो , चाहे मानव -मानव ही  क्यूँ न हो । थोड़ा सा भी नियंत्रण बिगड़ा सब कुछ डह जाएगा 

एक ये बात भी सच है की प्रत्येक मनुष्य के लिए  सम्भव नहीं हों पाता  कि वो प्रकृति और माँ गंगा के क़रीब हो पाये । कई लोग तो घरों में छोटा सा हरा भरा बगीचा बना लेते है , और कईयो के लिए ये भी सम्भव नहीं  हो पाता  हम घर में एक दो छोटे से प्लांट ही रख सकते है जो आपक़ो तरो ताज़ा रखें , एक बर्तन में गंगाजल रख कर प्रार्थना , पूजा कर  सकते है । एक विश्वास से संकल्प और ध्यान कर सकते है। 

प्रार्थना  करते है महादेव से , प्रार्थना माँ गंगा से , प्रार्थना प्रकृति से , सबकी रक्षा हो । मानव जाती का कल्याण हों । हर हर महादेव 

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