Skip to main content

Jeevan Ek Kala: Chetna Mata

ॐ नमों नारायण, ॐ गुरूवे नम:, मानव जीवन को समझ पाना मुश्किल है । कभी तो ये बहुत आसान लगता है कभी मुश्किलों से भरा । ये जीवन लम्बा भी है और छोटा भी। आनंद से भरा है तो छोटा है , कठिनाइयों से भरा है तो लम्बा लगता है मानव जीवन है तो परेशनियाँ आयेंगी क्योंकि ये हमें हर पल अनुभव देकर जाती है । जीवन यदि सुख-दुःख, ख़ुशी-ग़म की आँख मिचोली में व्यस्त नहीं रहेगा तो ये जीवन चक्र ख़त्म कैसे होगा। कुछ संस्कार बनते है कुछ ख़त्म हो जाते है । बस हम इतना कर सकते है की इस जीवन को , सुख -दुःख के चक्रव्यूह में नियंत्रण में  रखे अपनी जीवन शैली में बदलाव करकें । अपने गुरुजनों के आशीर्वाद से अपने जीवन को एक नई दिशा दे कर । यदि जीवन के हर एक पहलू को नियंत्रण में करना आ जाएगा तो जीवन जीने का तरीक़ा आसान हो जाएगा 

जब हम एक आध्यात्मिक गुरू के सान्निध्य में होते है तो हमें बहुत कुछ सिखने को मिलता है। अध्यात्म हमें बल देता है क्योंकि हमारे अंदर सभी देवी देवताओं की शक्ति का वास है । सम्पूर्ण ब्रह्मांड हमारे शरीर के अंदर समाहित है । 

प्रकृति हमारे साथ हर पल जुड़ी है। हमें अपने आप को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत करना होगा । थोड़ा योगा , थोड़ा ध्यान , थोड़ी सी सैर करना ,टहलना, थोड़ा मंत्र जाप , सूर्य ध्यान , ये सब आपको मजबूत बनाते है इस जीवन यात्रा को सहज बनाने में 

यें जो आज का समय चल रहा है हमें अंधकार कीऔर ले जा रहा है । हमारी  सोचने समझने की शक्ति कोकमजोर कर रहा है। यें ही समय है अपनी सूझ -बूझ की परीक्षा देने का । हम बहुत कुछ खो रहे है लेकिन हमें बहुत कुछ अच्छा मिलेगा भी। बलिदान व्यर्थ नहीं जाता । सूर्य हमेशा उदय होता है और प्रकाश चारों और फैलता है । अपने में विश्वास उस परम -शक्ति में विश्वास । हमारे पर्यास ही हमें सफलता दिलाएँगे 

जब भी मौक़ा मिले योग , प्राणायाम और ध्यान करे । 

कुछ समय के लिए उस परमशक्ति से जुड़ जायें । यें आपको शक्ति देगा जीवन में अपने कर्म को बढ़ावा देने में हमारे भय को दूर करने में । 

बहुत सारी चीज़ों में बदलाव लाना है हमें । हमको पता होता है हम जीवन में कहाँ ग़लत है और कहाँ ठीक यदि हम अपने व्यवहार में परिवर्तन लें आयेंगे तो जीवन की हर एक जंग जीत जाएँगे । कभी भी किसी को दोष देने से पहले अपने अंदर झाँको । कोई कभी भी  परिपूर्ण नहीं होता , कितने साल कितने जन्म लग जाते है अपने को समझने , साक्षात्कार करने में। 

साधक कहीं भी साधना कर सकता है। साधना अपने पवित्र अंतर्मन और प्रेम भाव से होती है । साधना में बाहरी आवरण नहीं आंतरिक आवरण होना पड़ता है । साधक किसी भी परिस्थिति में अपने को सम्भाल लेता है ।जीवन सहज और सरल होना चाहिए। आपकी साधना आपके का अंदर विषय है । लेकिन हमेशा हम दिखावे में फँस जाते हैं। 

जीवन की पहेली बड़ी अदभुद्ध है। धीरे धीरेसमझोगे तो समझ में आयेगी । प्रार्थना ईश्वर से , महादेव से  , गुरू से सबकी रक्षा हो सबका जीवन सफल हो। ॐ ॐ ॐ

Comments

Popular posts from this blog

Ram Mandir Pran Pratishtha ki shubhkamanaye

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा। गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥ हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते। बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥ राम मंदिर एकता का प्रतीक है ।यह सत्यता का प्रतीक है सनातन का प्रतीक है । यह किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है यह मंदिर पूरी मानव जाती के हित का प्रतीक है ।पूरा विश्व सनातनी है । पूरी पृथ्वी एक है ।श्री राजा राम आदर्श वादी राजा रहें है । एक आदर्शवादी जीवन सबके लिए ज़रूरी है । चाहे वो किसी भी धर्म संप्रदाय का हो । आज अयोध्या नगरी इतनी दिव्य भव्य सजी है की कोई देवी देवता अपने आप को नहीं रोक पाएगा वहाँ जाने से। हम लोग भी नहीं समझ पायेंगे कि श्री राम भी आज अपनी अयोध्या नगरी में उपस्थित है । सभी रामायण काल के लोग किसी ना किसी रूप में अयोध्या दर्शन करने आ रहे है।श्री राम मंदिर बनने से आज पूरी प्रकृति आनंदमयीं है ।संपूर्ण ब्रह्मांड जैसे झांक रहा है अयोध्या नगरी को। हम में से किसी ने त्रेता युग की अयोध्या को नहीं देखा लेकिन ऐसा लग रहा है कि शायद ये अयोध्या ये राम मंदिर उस युग से ज़्यादा भव्य , दिव्य है  आज विशेष हमार...

Mataji: A brief Introduction

  Mataji In these times the modern individual is suffering from different sort of problems and most of them are related to the ‘ Manostithi ’ (state of mind) of such an individual. Individuals are getting entangled in the issues of their own creation. Our masters and scriptures have prescribed that the suffering in one’s life is not due to ‘ Paristithi ’ (Situations) but due to ‘ Manostithi ’ and thus to overcome this suffering we need to understand the great complex yet simple science of Mana , (Mind) and through it the high science of Aatma can be understood. Once an individual is able to understand this all the sufferings vanish from his life.   One simple way is through Yoga and Meditation (Dhyana). If one follows this path and is able to get the ‘ Anugrah ’ (grace) of Master, one can succeed in one’s journey. One can attain the supreme stage in Dhyana and can become one with oneself. Such a person not only serves his/her purpose but that of the entire society. Mataji wi...

Sasaram Somnath Mandir Opening

ॐ नमों नारायण ॐ गुरूवे नम: मेरे गुरु पायलट बाबा को कोटि कोटि नमन जिन्होंने मानव कल्याण के लिए इतनी बड़ी धरोहर दिया ७ नवंबर २०२२ ,कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की बैकुंठ चतुर्दशी एक अभूतपूर्व संत समागम एवं अक्षय ऊर्जा केंद्र श्री पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव उद्घाटन की साक्षी रही । परम पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी के अथक भगीरथ प्रयास और संकल्प एक बार पुनः फलित हुआ,एवं पूर्वोत्तर की इस पावन भूमि पर 'पूर्वोत्तर सोमनाथ मंदिर ' का भव्य लोकार्पण किया गया। जिसमें महान संतो, महात्माओं व आचार्य शामिल रहे - स्वामी आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद नन्द गिरि जी,योग गुरु स्वामी रामदेव जी,स्वामी कैलाशा नन्द गिरि जी,  महामंडलेश्वर, वरिष्ठ महामंडलेश्वर अर्जुन पूरी जी महाराज, स्वामी चिदानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर श्रद्धा गिरि जी, महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर अरुण अवधूत जी, स्वामी कृष्णानंद जी, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी (किन्नर अखाड़ा), महामंडलेश्वर योगामाता केको आइकवा जी (जापान), , महामंडलेश्वर विष्णु देवा नन्द जी (रूस ), महामंडलेश्वर आ...