ॐ गुरूवे नम: योगेन चित्तस्य पदेन वाचां, मलं शरीरस्य च वैद्यकेन। योऽपाकरोत् तं प्रवरं मुनीनां, पतंजलि प्रांजलिरानतोऽस्मि।। इस मंत्र का अर्थ है चित्त-शुद्धि के लिए योग (योगसूत्र), वाणी-शुद्धि के लिए व्याकरण (महाभाष्य) और शरीर-शुद्धि के लिए वैद्यकशास्त्र (चरकसंहिता) देनेवाले मुनिश्रेष्ठ पातंजलि को प्रणाम !) ॐ योग हमारे जीवन का आधार है । सबको अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनायें हर हर महादेव जीवन एक यात्रा भी है और एक चक्र भी जब घूमता है तो समझ नही आता कहाँ से शुरू हुआ और कहाँ आकर रूक गया। ये जीवन चक्र सही ढंग से चलता रहें और समझ में आ जाये कहाँ से शुरू हुआ और कहाँ जाकर ख़त्म होने जा रहा है तो मानव जीवन धन्य हो जयें मानव ! ईश्वर की सबसे सुंदर रचना है । योग जुड़ाव है। अपने जीवन में योग को अपनाओ ये आपकी सारी ऊर्ज़ाओ को एकत्रित कर देगा ये ऊर्जा आपको मानसिक,शारीरिक शांति और शक्ति प्रदान करेगा। इस जीवन को समझने और इसको शारीरिक और मानसिक रूप से संजोए रखने के लिए हमें जीवन के हर एक अनुभव से गुजरना पड़ता है। आज के इस युग में ज़रूरत है इस मानव शरीर और मन को स्वस...
Mahamandaleshwar, Juna Akhara