ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। ॐ नमों नारायण। ॐ गुरूवे नम:। मनुष्य जीवन का चक्र, जन्म और फिर मृत्यु के साथ पूरा होता है। जन्म के समय ख़ुशी होती है और हम ये चक्र बड़े हर्षोंउल्लास से शुरू करते है । ये जीवन हमें बहुत सारे खट्टे- मीठे अनुभव देता है । लेकिन सत्य , मृत्यु भय देती है , ये हमें जीवन चक्र से मुक्त कर देती है आज का समय जो बड़ा भयावह लग रहा है । क्या हो रहा है ? किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा है। कभी कभी हमें जीवन के इतने उतार चड़ाव देखने पड़ते है की जो हमारी सोच से भी परे होते है। ऐसा लग रहा है की ईश्वरीय शक्ति भी काम नही कर रहीं है। लेकिन ऐसा नही है । हमें अपना विश्वास नहि खोना है । हम लोगों को पता है कि कुछ महत्वपूर्ण , मूल्यवान जिनका मोल नही लगा सकते कुछ ना भूलने वाले पल , वो दिव्य आत्मायें जो हमारे बीच में से चली गयी है , वो ही समझ सकते है । उनके दुःख का अंदाज़ा लगाना नामुनकिन है । कुछ खोने का अहसास। मानव कर्म प्रधान कहा जाता है। हर एक प्राणी एक अलग उद्देश्य से इस पृथ्वी पर आता है।आन...
Mahamandaleshwar, Juna Akhara